13. गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं जिससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए।
सेवा में,
थानाध्यक्ष महोदय,
तिलक नगर थाना,
नई दिल्ली- 110018
दिनांक- 23 मार्च 20XX
विषय- अपराधों की रोकथाम के संदर्भ में।
माननीय महोदय,
मैं दिल्ली के तिलक नगर का रहने वाला हूँ। मुझे अत्यंत दुःख के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा
है कि
हमारी कॉलोनी में दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ रहे हैं। पहले यह कॉलोनी शांतिप्रिय थी पर अब यहाँ
हम भय
में जीवन जी रहे हैं। महिलाएँ तो घर से निकलने में कतराती हैं। कुछ सप्ताह पहले दो महिलाओं का
किसी
राह चलते लूटेरे ने पर्स छीन लिया और कल तो हद ही हो गई घर के सामने किसी काम से मेरी
माता जी
खड़ी थीं वहाँ राह चलते किसी ने उनकी चेन खींचकर ही भाग गया। घर के सदस्य उसके पीछे भागे
परंतु वह
तेजी से नौ दो ग्यारह हो गया। पूरे क्षेत्र में चोरी व छीनने की घटनाओं के कारण भय का माहौल हैं।
लोग घर से निकलने में भी कतराते हैं।
अतः आप से विनम्र निवेदन है कि हमारी उचित सुरक्षा का प्रबंध करे व प्रतिदिन पुलिस की गश्त लगाते रहे। इससे हमें सुरक्षा का भाव मिले।
धन्यवाद,
भवदीय
नरेश
आपका एक मित्र शिमला में रहता हैं। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 23 मार्च 20XX
प्रिय मित्र नीरज,
सस्नेह अभिवादन,
मैं कुशलतापूर्वक दिल्ली पहुँच गया हूँ। आशा है तुम भी ठीक होंगे। बहुत बहुत धन्यवाद मित्र।
इस ग्रीष्मकाल के
अवकाश को तुमने यादगार बना दिया। मैंने स्वपन में भी इस तरह का नजारा नहीं देखा जो तुमने मुझे
शिमला में दिखाया। तुम्हारे व तुम्हारे परिवार के सहयोग द्वारा ही हमारी यह मात्रा यादगार बनी। सच
में तुम तो प्रकृति की गोद में ही रहते हो। इतना सुंदर दृश्य तुमने हमें पहाड़ियों से दिखाया
जैसे स्वर्ग हो।
मैं अपने शब्दों द्वारा भी उस प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन नहीं कर सकता। यहाँ आकर के मुझे दोबारा तुम्हारे साथ बिताए गए समय का स्मरण हो रहा है। मेरे माता-पिता जी भी तुम्हारे व तुम्हारे परिवार वालों को याद कर रहे हैं। मेरी माता तो तुम्हारी माता जी की मित्र ही बन गई थी। सच में दो परिवारों के साथ मिलकर की गई यात्रा यादगार ही बन जाती है। आशा है तुम भी परिवार सहित दिल्ली आओ तो हम सभी साथ मिलकर मथुरा-वृंदावन घूमने चलेंगे। चाचा जी व चाची जी को मेरा प्रणाम कहना एवं बहन को स्नेह देना। तुमसे पुनः मिलने की आशा में।
तुम्हारा मित्र
ऋषि
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नई दिल्ली।
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